
बेरोजगार युवाओं के आंदोलन
देहरादून।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) पेपर लीक मामले को लेकर प्रदेश भर में युवाओं का आक्रोश लगातार बढ़ रहा है। बेरोजगार युवा जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार से निष्पक्ष कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इस बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आंदोलन पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि युवाओं के गुस्से को कुछ लोग अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।
सीएम धामी ने देहरादून में एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बातचीत में कहा कि विरोध प्रदर्शन का असली उद्देश्य कहीं न कहीं भटकाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि आंदोलन में ऐसे लोग भी शामिल हो रहे हैं जिनका युवाओं या भर्ती परीक्षाओं से कोई सीधा संबंध नहीं है। ये लोग केवल अपने स्वार्थ और राजनीति के लिए छात्रों को आगे कर रहे हैं।
देशद्रोह के नारे और धर्म पर टिप्पणी
मुख्यमंत्री ने कहा कि धरनों के दौरान कुछ जगह देशद्रोह के नारे लगे हैं और सनातन धर्म का भी अपमान किया गया है, जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे सोच-समझकर तय करें कि उनके आंदोलन को कौन लोग दिशा दे रहे हैं और कौन लोग उन्हें इस्तेमाल कर रहे हैं। सीएम ने कहा, “उत्तराखंड के युवा बहुत समझदार और राष्ट्रवादी सोच वाले हैं। यह देवभूमि है और यहां का युवा विवेक से निर्णय लेकर आगे बढ़ेगा।”
सरकार की ओर से भर्ती प्रक्रिया पर रोक
सीएम धामी ने स्पष्ट किया कि सरकार भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर कोई समझौता नहीं करेगी। उन्होंने बताया कि फिलहाल एक महीने के लिए सभी भर्तियों पर रोक लगा दी गई है। इस दौरान कोई भी परिणाम घोषित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि जांच पूरी होने के बाद ही आगे की प्रक्रिया शुरू होगी।
सीएम ने यह भी जानकारी दी कि पूरे मामले की जांच हाईकोर्ट के जज की निगरानी में गठित एसआईटी (विशेष जांच टीम) करेगी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जांच रिपोर्ट आने के बाद छात्रों के हित में ही फैसला लिया जाएगा।
सरकार की उपलब्धियां भी गिनाई
मुख्यमंत्री धामी ने अपनी सरकार की अब तक की भर्तियों का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले समय में 25 हजार से ज्यादा नियुक्तियां पूरी तरह पारदर्शिता और बिना भ्रष्टाचार के की गई हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि आगे भी यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी और जल्द ही भर्ती कैलेंडर भी जारी किया जाएगा।
मामला कैसे सामने आया?
गौरतलब है कि 21 सितंबर (रविवार) को हरिद्वार के एक परीक्षा केंद्र में हुई स्नातक स्तरीय परीक्षा के दौरान पेपर लीक का मामला सामने आया था। परीक्षा शुरू होने के कुछ समय बाद ही प्रश्नपत्र के तीन पन्ने बाहर आ गए थे। इसके बाद प्रदेश भर में हंगामा मच गया और युवा सड़कों पर उतर आए।
इस घटना के बाद पुलिस ने जांच तेज की और मुख्य आरोपी खालिद को गिरफ्तार कर लिया। खालिद खुद भी अभ्यर्थी था। आरोप है कि उसने परीक्षा केंद्र से मोबाइल से प्रश्नपत्र की फोटो खींचकर अपनी बहन साबिया को भेजी। इसके बाद साबिया ने यह फोटो आगे शेयर की, जिससे पूरा मामला खुलकर सामने आ गया। पुलिस ने खालिद और उसकी बहन दोनों को हिरासत में ले लिया है। बताया जा रहा है कि इस मामले में एक असिस्टेंट प्रोफेसर का नाम भी सामने आया है।
छात्रों का गुस्सा और सरकार की चुनौती
पेपर लीक की घटनाओं ने युवाओं का भरोसा हिला दिया है। पहले भी कई परीक्षाओं में गड़बड़ियां सामने आई हैं, जिसके कारण बेरोजगारों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। अब जबकि स्नातक स्तरीय परीक्षा में धांधली पकड़ी गई है, छात्र साफ और निष्पक्ष भर्ती की मांग कर रहे हैं।
वहीं, सरकार के सामने दोहरी चुनौती है। एक तरफ उसे युवाओं के गुस्से को शांत करना है और दूसरी तरफ विपक्ष के हमलों का जवाब भी देना है। सीएम धामी ने कहा कि जो लोग छात्रों की आड़ में राजनीति कर रहे हैं, वे सफल नहीं होंगे। सरकार की प्राथमिकता केवल युवाओं का हित है और जांच पूरी पारदर्शिता के साथ होगी।
निष्कर्ष
पेपर लीक मामले ने उत्तराखंड में रोजगार को लेकर चल रही गंभीर स्थिति को उजागर कर दिया है। मुख्यमंत्री धामी ने आंदोलन के राजनीतिकरण पर सवाल उठाए हैं, वहीं युवाओं का कहना है कि उन्हें सिर्फ निष्पक्ष भर्ती और पारदर्शिता चाहिए। अब देखना होगा कि एसआईटी की जांच रिपोर्ट आने के बाद सरकार इस दिशा में क्या ठोस कदम उठाती है।