अतुल्य भारत :
हरिद्वार 6 फरवरी। श्री बनखंडी साधु बेला पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने कहा है। कि हिंदू धर्म संस्कार में उपनयन संस्कार दशम संस्कार है। जो कि मानव जीवन के लिए विशेष महत्वपूर्ण है। इस संस्कार के अंतर्गत ही बालक के जीवन का भौतिक तथा आध्यात्मिक मार्ग प्रशस्त होता है। और यज्ञोपवीत धारण करने के पश्चात उसे गायत्री मंत्र की दीक्षा दी जाती है। भूपतवाला स्थित साधु बेला आश्रम में सूरत से आए पूनम, दिनेश मुरलीधर परिवार के सुपुत्रो यश कुमार, दक्ष कुमार, एवं कृष्णा कुमार का उपनयन संस्कार विधि-विधान पूर्वक किया गया और उन्हें धर्म एवं राष्ट्र सेवा के लिए संत समाज द्वारा प्रण दिलाया गया। इस दौरान श्रद्धालु संगत को संबोधित करते हुए साधुबेला पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने कहा कि सत्य सनातन धर्म सबसे प्राचीन एवं शाश्वत है। वर्तमान समय में अति आवश्यक है कि हर परिवार धार्मिक संस्कारों को महत्व देते हुए अपने बच्चों में अच्छे संस्कारों को धारण करें। जिससे वह संस्कारवान बनकर अपने दायित्व का निर्वाह समय अनुसार करते रहें। और धर्मानुसार आचरण कर सुबुद्धि, नीति, मर्यादा और सही गलत का ज्ञान प्राप्त कर सकें। महंत बलराम मुनि महाराज ने कहा कि वर्तमान युग में पाश्चात्य संस्कृति बहुत तेजी के साथ भारतीय सभ्यता पर हावी हो रही है। जिस कारण धीरे-धीरे सनातन संस्कृति की हानि हो रही है। और गुरुकुल पद्धति समाप्त हो रही है। संत समाज को इसे बचाए रखने के लिए आगे आना होगा और समाज को प्रेरणा देनी होगी। कि अपने घर परिवार और बच्चों में भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म का संचार कर उन्हें धर्म सम्मत बनाएं ताकि वह अपने कर्तव्यों का निष्ठा पूर्वक पालन करते हुए स्वयं के कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर सकें। दिनेश मुरलीधर छाबड़ा एवं पूनम दिनेश छाबड़ा ने कहा कि जब तक हम अपने धर्म और संस्कृति का पूर्ण रूप से बोध नहीं करेंगे तब तक हम अपने कर्तव्यों का निर्वहन सही रूप से नहीं कर सकते। यह तभी संभव है कि हम किसी भी क्षेत्र में कार्यरत रहकर गुरु के बताए मार्ग का अनुसरण करें क्योंकि गुरु ही परमात्मा का दूसरा स्वरूप है। जो अपने भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर उनके मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करते हैं। इस दौरान शंकर लाल मुरलीधर छाबड़ा, कोमल शंकर लाल छाबड़ा, आशा छाबड़ा, आंचल छाबड़ा, प्रीति छाबड़ा, आरती छाबड़ा, नैतिक छाबड़ा, श्यामलाल छाबड़ा, कंचन छाबड़ा, नंदकिशोर मोहनलाल छाबड़ा, आरती छाबड़ा, आशुतोष छाबड़ा, आयुषी, नवीन छाबड़ा, खुशबू छाबड़ा, रिया, कीर्ति, ध्रुव उज्जवल, प्रिया, कशिश, प्रिंस, जय कुकरेजा, शालिनी कुकरेजा, वंशिका, कनक, जियान, राज कुकरेजा, सुनील कुमार, सुनीता उदानी, राम मनानी, देव मनानी, दामिनी मनानी, प्रतीक, पुनीत, मोहिनी हीरानंदानी, हीरेन हीरानंदानी, सीमा, वंश, मीस्ठी, नरेश बीजानी एवं पंडित भागीरथ उपस्थित रहे।