अतुल्य भारत :
हरिद्वार। कथा व्यास स्वामी हरिदास महाराज ने कहा कि रामकथा को आत्मसात करने से ही मनुष्य के जीवन में परिवर्तन संभव है। केवल कथा के श्रवणमात्र से ही मनुष्य का भला नहीं होने वाला है। भगवान राम के चरित्र को अपनाकर यह मनुष्य अपना जीवन सफल बना सकता है। हनुमान जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में श्री बालाजी धाम सिद्धबलि हनुमान नर्मदेश्वर महादेव मंदिर के प्रांगण में निरंजनी अखाड़े के स्वामी आलोक गिरी महाराज की प्रेरणा और महंत केदार गिरी महाराज के सानिध्य में संगीतमय श्रीरामचरित मानस कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। श्रीरामचरित मानस कथा के दूसरे दिन कथा व्यास हरिदास महाराज ने भगवान शिव और माता सती के चरित का सुंदर वर्णन किया। उन्होंने कहा कि माता सती ने अपने पति की अवज्ञा की परिणाम स्वरूप उन्हें अपने जीवन से हाथ धोना पड़ा। ऐसे में स्त्रियों को सदैव अपने पति की बात माननी चाहिए। बाबा हरिदास महाराज ने कहा कि भगवान राम असाधारण व्यक्तित्व के स्वामी थे। उनके मनुष्य चरित्र को समझने में माता सती से भूल हो गई। उनके लीला को देखकर माता सती को भी मोह उत्पन्न हुआ। ऐसे में साधारण मनुष्य भी भगवान राम को ना समझ सके तो इसमें आश्चर्य क्या है। भगवान राम को जानने और समझने के लिए गुरु की नितांत आवश्यकता है। गुरु वचनों पर विश्वास करने वाला ही भगवान राम को पा सकेगा। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस में भगवान शंकर को गुरु माना है और गुरु की अवज्ञा करने के कारण ही माता सती को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ा था। हरिदास महाराज ने कहा कि कथाओं के मर्म को समझना होगा। कथाओं को व्यक्तिगत जीवन में जोड़ने से ही जीवन परिवर्तन संभव होगा। राम कथा में स्वामी आलोक गिरी , पुजारी मनकामेश्वर गिरी, शंकर गिरी, कामेश्वर यादव, ओमप्रकाश मलिक ईशान नंदवाणी, पंडित सोहन चंद डोंडरियाल, विशाल भाटिया, रमेश सेमवाल, पुनीत चौधरी, नितिन चौधरी, अमित कश्यप, कृष्णा प्रजापति, कार्तिक राजपूत, राहुल शर्मा, राहुल कश्यप, पंडित विनय मिश्रा,विकास मास्टर, संजय चौधरी, कालका प्रसाद कोठारी जगमोहन नेहिल चंद्र प्रकाश रमेश रावत, राजबाला देवी, सुरेखा देवी, सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।