देहरादून। पंडित सदानन्द सेमवाल ने कहा है कि धर्म की नगरी हरिद्वार के पुज्य संत पुण्य नंद गिरी ने जो ब्राह्मण समाज के लिए अमर्यादित शब्दों का प्रयोग किया हे। उससे ब्राह्मण समाज बहुत नाराज हैं। स्वयं एक संत होकर उनका इस प्रकार के शब्दों का वर्णन शोभा नहीं देता। ब्राह्मणों को घोड़ा गाँधा कहना बहुत अमर्यादित है। ब्राह्मण समाज बहुत आक्रोश है अगर वह माफी नहीं मांगते हैं। तो देहरादून का ब्राह्मण समाज उनके ख़िलाफ पुतला दहन करेंगे और धरना देंगे। सेमवाल जी ने कहा है शास्त्रों मे ब्राह्मण को कहा गया है। कि
पृथिव्यां यानी तीर्थानि तानी तीर्थानि सागरे ।
सागरे सर्वतीर्थानि पादे विप्रस्य दक्षिणे ।।
चैत्रमाहात्मये तीर्थानि दक्षिणे पादे वेदास्तन्मुखमाश्रिताः ।
सर्वांगेष्वाश्रिता देवाः पूजितास्ते तदर्चया ।।
अव्यक्त रूपिणो विष्णोः स्वरूपं ब्राह्मणा भुवि ।
नावमान्या नो विरोधा कदाचिच्छुभमिच्छता ।।
अर्थात पृथ्वी में जितने भी तीर्थ हैं वह सभी समुद्र में मिलते हैं और समुद्र में जितने भी तीर्थ हैं वह सभी ब्राह्मण के दक्षिण पैर में है। चार वेद उसके मुख में हैं। अंग में सभी देवता आश्रय करके रहते हैं। इसलिए ऐसी मान्यता है ब्राह्मण की पूजा करने से सब देवों की पूजा होती है। पृथ्वी में ब्राह्मण विष्णु स्वरूप माने गए हैं इसलिए जिसको कल्याण की इच्छा हो उसे कभी ब्राह्मणों का अपमान तथा द्वेष नहीं करना चाहिए।