
दून में पानी की किल्लत
देहरादून। राजधानी दून में पानी की समस्या लगातार गहराती जा रही है। शहर के कई मोहल्लों में पिछले पाँच दिनों से लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं। स्थिति यह है कि लोग अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए टैंकरों का सहारा लेने को मजबूर हैं, लेकिन वहाँ भी हालात सामान्य नहीं हैं। टैंकरों से पानी लेने के लिए लोग घंटों लाइन में लगते हैं और कई बार धक्का-मुक्की तक हो जाती है।
पाँच दिनों से संकट गहराया
राजपुर रोड, घंटाघर से लेकर डीएल रोड और कई अन्य इलाकों में पानी की सप्लाई ठप सी हो गई है। नलों में पानी की एक बूंद तक नहीं आ रही है। घरों में पीने से लेकर कपड़े-बर्तन धोने तक का संकट खड़ा हो गया है। जिन परिवारों के पास पानी स्टोर करने की सुविधा नहीं है, उन्हें और ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
नहरें बंद होने से बढ़ी परेशानी
पुराने समय में दून की पहचान उसकी नहरों से होती थी। शहर के बीचों-बीच बहने वाली नहरें लोगों के लिए वैकल्पिक जलस्रोत थीं। घरों की जरूरतें इन्हीं नहरों से पूरी हो जाती थीं। लेकिन राजधानी बनने के बाद प्रशासन और अधिकारियों की सुविधाओं के लिए नहरों को बंद कर दिया गया। आज वही नहरें अगर चालू होतीं तो शायद जनता को इतनी परेशानी का सामना न करना पड़ता।
राजधानी में ही संकट
यह समस्या तब और गंभीर हो जाती है जब हम सोचते हैं कि राजधानी में जहाँ मुख्यमंत्री, मंत्री और बड़े अफसर रहते हैं, वहाँ पानी की यह हालत है। सचिवालय और जिलाधिकारी आवास के पास तक पानी की किल्लत देखी गई है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब राजधानी में जनता पानी के लिए तरस रही है तो पहाड़ी और ग्रामीण जिलों का क्या हाल होगा?
टैंकरों पर निर्भरता, पर हल नहीं
नगर निगम और जल संस्थान की ओर से पानी के टैंकर भेजकर समस्या को हल करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन टैंकरों से पानी मिलना न तो पर्याप्त है और न ही नियमित। कई बार लोग घंटों इंतजार करते हैं, फिर भी पानी नहीं मिल पाता। जो मिलता है उसके लिए लोगों में खींचतान हो जाती है। हाल ही में राजपुर रोड पर ऐसा नजारा देखने को मिला जहाँ लोग टैंकर के आसपास भीड़ लगाकर एक-दूसरे पर चढ़ते दिखाई दिए।
लगातार बढ़ती आबादी से हालात बदतर
राजधानी बनने के बाद दून में बाहरी राज्यों से बड़ी संख्या में लोग बसने आए। जनसंख्या बढ़ने के साथ पानी की मांग भी बढ़ी। लेकिन जल आपूर्ति व्यवस्था को उसी हिसाब से विकसित नहीं किया गया। आज यही वजह है कि थोड़ी सी गड़बड़ी होने पर भी शहर में पानी का संकट गहराने लगता है।
जनता का सवाल – कब मिलेगा समाधान?
लोगों का कहना है कि राज्य बनने से पहले भी पानी की समस्या थी, लेकिन नहरों के चलते उसका समाधान हो जाता था। अब नहरें बंद हैं और वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है। पीने के पानी के साथ-साथ घरेलू कामकाज के लिए भी लोग परेशान हैं। जनता सवाल कर रही है कि आखिर कब उन्हें इस समस्या से राहत मिलेगी?
प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती
अधिकारियों के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती यही है कि राजधानी जैसे शहर में पानी की समस्या का स्थायी हल कैसे निकाला जाए। हर साल गर्मियों और बारिश के मौसम में पानी की किल्लत की खबरें आती हैं, लेकिन लंबे समय तक टिकने वाला कोई समाधान अभी तक सामने नहीं आया।
नतीजा – जनता भुगत रही खामियाजा
दून की नहरें अब इतिहास बन चुकी हैं, लेकिन उनकी यादें लोगों को यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि अगर वे नहरें बंद न होतीं तो आज इतनी परेशानी न झेलनी पड़ती। राजधानी के लोग लगातार पानी के लिए परेशान हैं और समाधान न मिलने की स्थिति में आने वाले दिनों में समस्या और विकराल हो सकती है।