रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन
नई दिल्ली/मॉस्को। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की भूमिका पर बड़ा बयान देकर पाकिस्तान के पूरे विमर्श (Narrative) को ध्वस्त कर दिया है। इंडिया टुडे ग्रुप को दिए एक विशेष इंटरव्यू में पुतिन ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की सत्ता एक वास्तविकता है और यह शासन आतंकवाद का मुक़ाबला कर रहा है।
पाकिस्तान के दावे को झटका
पाकिस्तान लंबे समय से यह आरोप लगाता रहा है कि अफ़ग़ान तालिबान, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) को पनाह और हथियार दे रहा है, जो पाकिस्तान के अंदर हमलों को अंजाम दे रहा है।
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भारत को घसीटने का प्रयास: इस्लामाबाद ने यहाँ तक आरोप लगाया था कि काबुल में तालिबान शासन नई दिल्ली की ‘कठपुतली’ है और भारत पाकिस्तान में आतंकवाद बढ़ाने के पीछे है।
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पुतिन का समर्थन: पुतिन के इस बयान ने तालिबान के रुख़ का समर्थन किया है, जबकि पाकिस्तान और काबुल के बीच संबंध हाल ही में सीमा पार गोलाबारी और लाखों अफ़ग़ान शरणार्थियों को निकालने के कारण सबसे निचले स्तर पर हैं।

पुतिन ने क्यों किया तालिबान का समर्थन?
रूसी राष्ट्रपति ने स्पष्ट किया कि मॉस्को अफ़ग़ान तालिबान को क्यों स्वीकार करता है:
“हर देश में पर्याप्त समस्याएँ होती हैं। और अफ़ग़ानिस्तान इसका अपवाद नहीं है, यह देखते हुए कि दशकों से यह देश गृहयुद्ध में उलझा हुआ है… लेकिन तालिबान स्पष्ट रूप से अफ़ग़ानिस्तान में स्थिति को नियंत्रित करता है और यह स्पष्ट है। इसे स्वीकार करना होगा क्योंकि यह वास्तविकता है।”
पुतिन ने तालिबान के पक्ष में तीन महत्वपूर्ण बातें कहीं:
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आतंकवाद से मुक़ाबला: “अफ़ग़ान सरकार आतंकवाद और ISIL (इस्लामिक स्टेट) तथा उनके जैसे अन्य आतंकवादी संगठनों से मुक़ाबला करने के लिए कई कदम उठा रही है। यह हम भी बहुत अच्छे से जानते हैं।”
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अफ़ीम उत्पादन पर रोक: “अफ़ग़ान अधिकारियों ने अपने देश में अफ़ीम के उत्पादन में काफ़ी कमी की है और अपनी सीमाओं के भीतर से मादक पदार्थों के ख़तरों से सक्रिय रूप से निपट रहे हैं।”
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संपर्क ज़रूरी: “मुख्य बात यह है कि देश में हो रही घटनाओं को प्रभावित करने के लिए, आपको वहाँ के वर्तमान नेतृत्व के साथ संपर्क में रहना चाहिए। हम यही कर रहे हैं।”
रूस और तालिबान के गहरे होते संबंध
पुतिन की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब रूस ने तालिबान के साथ अपने संबंध मजबूत किए हैं और मॉस्को में उनके प्रतिनिधिमंडलों की मेज़बानी की है। गौरतलब है कि रूस पहला देश था जिसने अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता दी थी।





















