मेजर मोहित शर्मा
नई दिल्ली, नवंबर 2025:
शहीद मेजर मोहित शर्मा के माता-पिता ने आगामी फिल्म धुरंधर की रिलीज़ पर रोक लगाने की मांग करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। रणवीर सिंह अभिनीत यह फिल्म 5 दिसंबर 2025 को रिलीज़ होने वाली है, और परिजनों का आरोप है कि इसमें मेजर शर्मा के जीवन, उनकी गुप्त सैन्य कार्रवाइयों और शहादत के पहलुओं को बिना अनुमति दिखाया गया है।
यह याचिका उनके माता-पिता सुशीला शर्मा (77) और राजेंद्र प्रसाद शर्मा (75) ने दायर की है। उनका कहना है कि फिल्म निर्माताओं ने न तो परिवार से और न ही भारतीय सेना से किसी प्रकार की अनुमति ली। याचिका के अनुसार, फिल्म के ट्रेलर और प्रचार सामग्री में दिखाए गए कई दृश्य मेजर शर्मा के काउंटर-टेररिज्म ऑपरेशनों से मिलते-जुलते हैं।
परिजनों का कहना है कि मीडिया में लगातार यह चर्चा रही है कि फिल्म की कहानी मेजर शर्मा से प्रेरित है, लेकिन इसके बावजूद फिल्म निर्माताओं ने न तो इस संबंध को स्वीकार किया और न ही परिवार से संवाद किया। परिवार का तर्क है कि एक शहीद की विरासत का व्यावसायिक उपयोग बिना सम्मान और सहमति के नहीं होना चाहिए।
याचिका में दावा किया गया है कि फिल्म को बिना अनुमति रिलीज़ करना मेजर शर्मा के मरणोपरांत व्यक्तित्व अधिकारों (posthumous personality rights) का उल्लंघन है, जो अनुच्छेद 21 के तहत प्रतिष्ठा और गरिमा से जुड़े अधिकारों की रक्षा करता है। इसके साथ ही, परिवार का कहना है कि यह चित्रण उनके निजता अधिकार और आत्मसम्मान को भी प्रभावित करता है।
याचिका में राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर भी गंभीर चिंता जताई गई है। परिवार का आरोप है कि फिल्म में कुछ ऐसे दृश्य दिखाए गए प्रतीत होते हैं जिनमें संवेदनशील सैन्य रणनीतियों और ऑपरेशनल तरीकों की झलक मिलती है। उनका कहना है कि ऐसे विवरण बिना ADGPI (अतिरिक्त महानिदेशक जन सूचना) की मंजूरी के सार्वजनिक नहीं किए जाने चाहिए।
याचिका में जिन पक्षों को प्रतिवादी बनाया गया है, उनमें सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC), ADGPI, फिल्म के निर्देशक और सह-निर्माता आदित्य धर, तथा जियो स्टूडियोज़ शामिल हैं।
परिवार ने अदालत से न केवल फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाने की मांग की है, बल्कि यह भी आग्रह किया है कि सार्वजनिक प्रदर्शन से पहले फिल्म की निजी स्क्रीनिंग उन्हें दिखाई जाए। इसके अतिरिक्त, वे यह भी चाहते हैं कि अदालत यह स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करे कि किसी वास्तविक सेना अधिकारी के जीवन पर आधारित फिल्म बनाने से पहले परिवार की सहमति और सेना की अनुमति अनिवार्य हो।
इस मामले में परिवार की ओर से अधिवक्ता रूपेन्शु प्रताप सिंह और मनीष शर्मा (समान्ता लॉ फर्म) पैरवी कर रहे हैं। यह मामला अगले सप्ताह अदालत में सूचीबद्ध होने की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला भारतीय सैनिकों के फिल्मी चित्रण और उनकी विरासत के अधिकारों को लेकर एक महत्वपूर्ण मिसाल बन सकता है।























