नई दिल्ली। लोक सभा में गुरुवार को उस समय तीखी बहस हो गई जब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद सौगत रॉय की आपत्ति पर कड़ा रुख अपनाया। रॉय ने वित्त मंत्री के हिंदी में भाषण देने पर एतराज़ जताया था, जिसके जवाब में सीतारमण ने कहा, “इससे माननीय सदस्य को क्या फर्क पड़ता है?”
क्या था मामला?
लोक सभा में ‘स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक’ (Health Security se National Security Cess Bill) पर चर्चा के दौरान यह घटना हुई।
-
TMC सांसद की आपत्ति: सौगत रॉय ने अपनी बात रखते हुए कहा कि वह सीतारमण द्वारा हिंदी में दिए गए पिछले भाषण को ठीक से समझ नहीं पाए। रॉय ने समाचार एजेंसी PTI के हवाले से कहा, “निर्मला जी ने भी हिंदी में बात की थी। मैं समझ नहीं पाया कि उन्होंने क्या कहा क्योंकि हम बंगाली हैं; हम इतनी हिंदी नहीं समझते।”
-
पीठासीन अधिकारी का हस्तक्षेप: इस पर लोक सभा अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने तुरंत हस्तक्षेप किया और रॉय को याद दिलाया कि संसदीय कार्यवाही का रियल-टाइम अनुवाद (अनुवाद की सुविधा) कई भाषाओं में उपलब्ध है। उन्होंने कहा, “यह पहले से ही संसद ऐप पर है, आप इसे देख सकते हैं।”

‘हम बंगाली हैं और बंगाली ही रहेंगे’
-
जब रॉय ने कहा, “हम बंगाली हैं, और हम बंगाली ही रहेंगे,” तो पीठासीन अधिकारी पाल ने उन्हें चेतावनी दी: “आप बंगाली हैं, लेकिन आप हिंदी के बारे में इस तरह से बात नहीं कर सकते।”
सीतारमण ने दिया करारा जवाब
बहस में हस्तक्षेप करते हुए, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रॉय की टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने तीखे लहजे में सवाल किया:
“मैं हिंदी में बोल सकती हूँ, मैं तमिल में बोल सकती हूँ, मैं तेलुगु में बोल सकती हूँ, मैं अंग्रेजी में बोल सकती हूँ। इससे माननीय सदस्य को क्या फर्क पड़ता है?”
इस घटना ने संसद में भाषा के उपयोग और क्षेत्रीय भावनाओं के मुद्दे पर एक बार फिर गरमागरम बहस छेड़ दी।





















