उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग
देहरादून/हरिद्वार: उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग (Uttarakhand Human Rights Commission) ने हरिद्वार के एक सरकारी अस्पताल में हुई गंभीर लापरवाही पर कड़ा रुख अपनाया है। यह मामला एक गर्भवती महिला को अस्पताल में भर्ती न किए जाने और उसके द्वारा अस्पताल के फर्श पर ही बच्चे को जन्म देने से जुड़ा है।
आयोग ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी से माँगी स्पष्ट आख्या
आयोग ने हरिद्वार के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) से इस पूरे मामले पर दिनांक 8 दिसंबर 2025 तक एक स्पष्ट और विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। आयोग ने सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि निर्धारित आदेश के अनुसार कार्रवाई नहीं की जाती है, तो विचारोंपरांत उचित आदेश पारित कर दिए जाएंगे।
स्थानीय अधिवक्ताओं की याचिका पर कार्रवाई
यह कार्रवाई हरिद्वार निवासी अरुण भदोरिया (एडवोकेट), कमल भदोरिया (एडवोकेट), और चेतन भदोरिया (LLB अध्यनरत) द्वारा दायर एक याचिका के बाद की गई है। इन तीनों ने जगजीतपुर निवासी होने के नाते, मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में यह याचिका दाखिल की थी।
आयोग ने 16 अक्टूबर 2025 को याचिका को पंजीकृत (रजिस्टर्ड) करते हुए तुरंत मुख्य चिकित्सा अधिकारी, हरिद्वार से इस संबंध में रिपोर्ट माँगी थी।
यह घटना सरकारी अस्पताल के स्टाफ की कथित लापरवाही और अमानवीय व्यवहार पर गंभीर सवाल खड़े करती है, जिसके बाद मानवाधिकार आयोग ने जनता के स्वास्थ्य अधिकारों की रक्षा के लिए हस्तक्षेप किया है।























