
हिमाचल प्रदेश में बादल फटने और भूस्खलन से तबाही
मौसम विभाग का अलर्ट: मानसून की वापसी 15 सितंबर से संभव, जनता को सतर्क रहने की सलाह
हाल ही में भारत के कई हिस्सों में मानसून ने भयंकर रूप ले लिया है। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के नम्होल क्षेत्र में शुक्रवार देर रात बादल फटने की घटना ने कई लोगों की नींद उड़ा दी। अत्यधिक तेज बारिश के कारण अचानक मलबे में करीब 10 से अधिक वाहन दब गए। साथ ही, सड़कें बहकर उफान पर आ गईं, जिससे यातायात पूरी तरह से ठप हो गया। प्रभावित इलाकों में कई घर भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीम ने राहत कार्य शुरू कर दिए हैं, लेकिन स्थिति अभी भी चुनौतीपूर्ण बनी हुई है।
वहीं, हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में धर्मपुर क्षेत्र के सपड़ी रोह गांव में शनिवार सुबह करीब 4 बजे भीषण भूस्खलन (लैंडस्लाइड) की घटना हुई। भारी बारिश की वजह से पहाड़ी से बड़ा मलबा गिरा और कई घर पूरी तरह से मलबे में दब गए। प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए 8 घर खाली कराने का आदेश दिया ताकि लोगों की जान सुरक्षित हो सके। प्रभावित इलाकों में राहत कार्य और बचाव कार्य तेज गति से जारी हैं।
इस पूरे मानसून सीजन में हिमाचल प्रदेश में बारिश और बाढ़ से अब तक कुल 386 लोगों की मौत दर्ज की जा चुकी है। यह आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस बार मानसून का प्रभाव सामान्य से कहीं अधिक रहा है। 1 जून से 12 सितंबर के बीच प्रदेश में कुल 967.2 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है, जबकि इस अवधि में सामान्यतः 678.4 मिलीमीटर बारिश होती है। इसका अर्थ हुआ कि इस बार लगभग 43% अधिक बारिश हुई है।
उत्तर प्रदेश में भी बाढ़ की स्थिति चिंताजनक
उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 23 सेमी ऊपर चला गया है। जिले के लगभग 80 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। 100 से ज्यादा परिवार मजबूरी में अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं। फर्रुखाबाद जिले में गंगा के किनारे कटान तेजी से बढ़ गया है। हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि ग्रामीण अपने घरों को खुद तोड़कर वहां से पलायन कर रहे हैं। लोग ईंट-सरिया निकालकर अपने साथ ले जा रहे हैं ताकि भविष्य में नए घर बनाने में सहूलियत हो। प्रशासन ने बचाव दल तैनात कर दिए हैं और प्रभावित लोगों को राहत सामग्री प्रदान की जा रही है।
मानसून की वापसी का अलर्ट – मौसम विभाग की भविष्यवाणी
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि इस बार मानसून की वापसी की प्रक्रिया 15 सितंबर के आसपास पश्चिमी राजस्थान से शुरू हो सकती है। आमतौर पर मानसून उत्तर-पश्चिम भारत में 17 सितंबर से लौटना शुरू करता है और यह प्रक्रिया 15 अक्टूबर तक पूरे देश में पूरी हो जाती है। इस बार खास बात यह रही कि मानसून ने 24 मई को केरल में दस्तक दी थी, जो पिछले 16 वर्षों में सबसे जल्दी दर्ज की गई शुरुआत थी। इस बार का मानसून देशभर में 9 दिन पहले यानी 29 जून तक पूरी तरह फैल गया था, जबकि सामान्य रूप से यह प्रक्रिया 8 जुलाई तक पूरी हो जाती है।
देशभर में अब तक कुल 836.2 मिमी बारिश दर्ज की जा चुकी है, जबकि सामान्य बारिश का औसत 778.6 मिमी माना जाता है। इसका मतलब यह हुआ कि इस बार सामान्य से लगभग 7% अधिक बारिश हुई है। खासकर उत्तर-पश्चिम भारत में 720.4 मिमी बारिश दर्ज हुई, जो कि सामान्य से 34% ज्यादा है।
एक अध्ययन में यह भी सामने आया है कि पिछले 50 वर्षों में मानसून पीरियड हर दशक में लगभग 1.6 दिन लंबा होता जा रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि मानसून की वापसी में भी हर दशक के साथ थोड़ी-थोड़ी देर हो रही है। विशेषज्ञ इस बदलाव को जलवायु परिवर्तन का प्रभाव मानते हैं।
प्रशासन की सख्त अपील और जनता को सतर्क रहने की सलाह
मौसम विभाग और आपदा प्रबंधन एजेंसियां लगातार लोगों से सतर्क रहने की अपील कर रही हैं। विशेष रूप से पहाड़ी इलाकों, नदी किनारों और भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सुरक्षा के उपाय अपनाने की सलाह दी गई है। प्रशासन ने सभी जिलों में हाई अलर्ट जारी कर दिया है और बचाव दल, मेडिकल टीम, रेस्क्यू वैन और अन्य आवश्यक संसाधनों को हर समय तैयार रखा गया है।
लोगों से अनुरोध किया जा रहा है कि वे अगर जरूरी न हो तो घर से बाहर न निकलें। नदी किनारे, खराब सड़क मार्ग और खतरनाक इलाकों से दूरी बनाकर चलें। प्रशासन ने विशेष रूप से छोटे बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने का निर्देश दिया है।
इस समय देशभर में मानसून का प्रभाव जोरशोर से बना हुआ है। आने वाले दिनों में मौसम विभाग की चेतावनी पर पूरी तरह ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है। ताकि जान-माल का कोई अनावश्यक नुकसान न हो।