नई दिल्ली: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए, भारत के साथ संबंधों को अमेरिका के संभावित दबाव से बचाना सबसे बड़ी प्राथमिकता है। मॉस्को के एक जाने-माने रूसी विश्लेषक ने यह बात कही है।
पुतिन आ रहे हैं भारत
राष्ट्रपति पुतिन अपनी पहली आधिकारिक यात्रा पर गुरुवार (4 दिसंबर, 2025) को नई दिल्ली पहुंच रहे हैं। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद यह उनकी पहली भारत यात्रा होगी।
भारत एक ‘व्यावहारिक’ दोस्त: रूसी विश्लेषक
रूसी एकेडमी ऑफ साइंसेज के इंस्टीट्यूट ऑफ ओरिएंटल स्टडीज के विश्लेषक निकोलई प्लॉट्निकोव ने ‘द हिंदू’ अखबार के सवालों का जवाब देते हुए भारतीय विदेश नीति को ‘व्यावहारिक’ (Pragmatist) बताया।
उन्होंने कहा कि:
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सस्ते तेल का फायदा: यूक्रेन में संघर्ष शुरू होने के बाद भारत ने रूस से कच्चे तेल की ख़रीद में भारी बढ़ोतरी की है।
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मुनाफ़ा नहीं छोड़ेगा भारत: प्लॉट्निकोव के अनुसार, भारत एक ‘व्यावहारिक’ देश है जो पिछले तीन वर्षों में रूसी तेल की ख़रीद से मिले “अच्छे मुनाफ़े” को आसानी से नहीं छोड़ेगा।
विश्लेषक का कहना है कि इसी व्यावहारिकता के कारण, रूस को उम्मीद है कि भारत, भविष्य में अमेरिका में बनने वाले ट्रंप प्रशासन के संभावित दबाव के बावजूद, रूस के साथ अपने रिश्ते और व्यापार को बनाए रखेगा।
वर्कर मोबिलिटी डील पर भी होगी बात
दोनों देशों के बीच इस यात्रा के दौरान ‘श्रमिक गतिशीलता (Worker Mobility) समझौते’ पर भी हस्ताक्षर होने की संभावना है। इस डील से दोनों देशों में काम करने वाले पेशेवर (जैसे इंजीनियर या डॉक्टर) और मजदूरों के लिए नियम आसान हो सकते हैं।






















