नैनीताल10 सितम्बर 2024
उत्तराखंड के ऐतिहासिक स्थल मल्लीताल , नैनीताल पंत पार्क में मंगलवार को महान स्वतंत्रता सेनानी, कुशल प्रशासक और भारत रत्न से सम्मानित पं. गोविंद बल्लभ पंत की जयंती पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में उत्तराखंड विधानसभा मा०अध्यक्ष ऋतु खण्डूडी भूषण ने बतौर मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया।
कार्यक्रम का आयोजन भारत रत्न पं० गोविन्द बल्लभ पंत जन्म दिवस समारोह समिति, नैनीताल द्वारा किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत पं. गोविंद बल्लभ पंत की तस्वीर पर माल्यार्पण व श्रद्वांजलि अर्पित करने के साथ हुई
कार्यक्रम में स्कूली बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किए गए।
कार्यक्रम के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को प्रसस्ती पत्र और शॉल भेंट कर उनको सम्मानित किया गया साथ ही उत्कृष्ट छात्र छात्राओं को भी विधानसभा अध्यक्ष द्वारा सम्मानित किया। इसके बाद, उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ने अपने संबोधन में पं. पंत के जीवन और उनके द्वारा किए गए अद्वितीय योगदानों पर प्रकाश डाला। उन्होंने पं. पंत की स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका, उनके प्रशासनिक कुशलता और उनके द्वारा किए गए समाज सुधार कार्यों की सराहना की।
विधानसभा अध्यक्ष खण्डूडी ने अपने संबोधन में कहा की पं०गोविन्द बल्लभ पन्त जी का जीवन देश की स्वतंत्रता की लड़ाई और सामाजिक उत्थान की मिसाल है। उन्होंने अपने संघर्ष और नेतृत्व के माध्यम से न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे देश को एक नई दिशा प्रदान की। उनके कार्यों और सिद्धांतों ने न केवल उस समय की राजनीति को आकार दिया, बल्कि आज भी हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं।
विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि उस समय पंडित नेहरू को गृहमंत्री के तौर पर सक्षम सहयोगी की जरूरत थी. साथ ही जिससे उनका समन्वय भी बना रहे. नेहरू को अपने पुराने साथी पंडित गोविंद बल्लभ पंत सबसे उपयुक्त लगे. वल्लभ पंत ऐसे साथी थे जिन्होंने पंडित नेहरू को बचाने के लिए लाठियां खाईं, जिसके असर से वो जीवनभर उबर नहीं पाए. उन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी से मुक्त किया गया और उन्हे गृह मंत्री बनाया और देश के विकास में उनकी मदद ली।
विधानसभा अध्यक्ष ने बताया की पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने देश की आजादी के लिए सात साल जेल में बिताए लेकिन कभी अंग्रेजों के सामने झुके नहीं। काकोरी ट्रेन एक्शन के मुकदमे में फांसी की सजा पाए रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी और रोशन सिंह की सजाओं को कम कराने के लिए पंडित जी ने पंडित मदन मोहन मालवीय के साथ मिलकर वायसराय को पत्र लिखा। उनके देश की सेवा के प्रति समर्पण को देखते हुए भारत सरकार ने 1957 में उन्हें देश के सर्वोच्च पुरस्कार, भारत रत्न से सम्मानित किया।
उन्होंने कहा की इस जयंती के अवसर पर, हम सभी पंडित बल्लभ पंडित जी की जीवन-यात्रा से प्रेरणा लें और अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को और अधिक सजगता और निष्ठा के साथ निभाएं। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि सही मार्ग पर चलकर हम समाज के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
इस दौरान विधायक नैनीताल सरिता आर्या, दर्जा मंत्री दिनेश आर्य, पूरन मेहरा, हाई कोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष डीसीएस रावत, गोपाल रावत, पूर्व विधायक नारायण सिंह जंतवाल, किशन सिंह रौतेला, ललित भट्ट, जोगिंदर सिंह, रमेश पांडे, शक्ति मेहरा,हेमा आर्या,दया बिष्ट,महेंद्र नेगी,हेमंत बिष्ट,तारा राणा आदि मौजूद रहे।
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